हवाबाज़ी (Aviation) सेक्टर में काम कर रही 600 महिला कर्मचारी में साराह पहली और इकलौती खातून मुस्लिम पायलट हैै।
साराह हमीद अहमद ने पायलट बनकर ये जता दिया कि अगर दिल में हौसला हो तो मज़हब भी आपके पैर की बेडियां नहीं बन सकता है।
साराह मुल्क की पहली “खातून मुस्लिम” पायलट है। मुस्लिम खानदानों में ख़्वातीन की शबिया को नया आयाम देते हुए साराह ने उनके लिए एक नई राह खोल दी है।
उन दिनों मुसलमानों को अमरीकी वीजा मिलने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था, ऐसे में साराह को बिना किसी परेशानी से आसानी से वीजा मिल गया। इसे उनके वालिद हमीद ने खुदा का इशारा माना और अपनी बेटी को उसके ख्वाब पूरे करने के लिए आकाश की ऊंचाईयां छूने भेज दिया।
आइये जानते है साराह हमीद अहमद के बारे में- मुल्क की “पहली मुस्लिम महिला पायलट”
25 साल की साराह बेंगलुरू से हैं, वे पिछले 18 महीनों से कर्मशियल एयरक्राफ्ट उड़ा रही हैं। फिल वक्त एवियेशन सेक्टर में काम कर रही 600 ख्वातीन मुलाज़्मीन में साराह पहली और इकलौती खातून मुस्लिम पायलट हैै।
साराह ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरब्यू में बताया कि उनका नाम (साराह) सुनकर लोग उन्हें इसाई (क्रिश्चन) समझते थे, लेकिन जब वे अपना पूरा नाम बताती तो शॉक्ड हो जाते थे।