अंजुम के जेहन में आज भी बचपन की वो धुंधली यादें ताजा हैं जब उनके पिता उन्हें जज बनाने की बात कहा करते थे। 25 साल बाद आज अंजुम जज बन गई हैं।
पर, इस सपने को देखने वाले और उन्हें प्रेरणा देने वाले पिता नहीं हैं। अंजुम ने जब सफल अभ्यर्थियों की सूची में अपना नाम देखा, उनकी आंखें भर आईं। गला रुंध गया। कुछ भी बोलते नहीं बना बस पिता को याद कर रो पड़ीं।
क्या बदला लिया है अंजुम तुमने अपने परिवार पर हुए जुल्म का? आज उस ज़ालिम की रूह काँप रही होगी और आँखे शर्मसार होंगी।
सिर्फ पाँच वर्ष की थी अंजुम जब बाप का सिर से साया उठ गया था। तकरीबन 25 साल पहले अंजुम के पिता की मुज़फ्फरनगर में रंगदारी न देने पर बदमाशों ने दूकान पर धावा बोल दिया,
अंजुम के अब्बू बेहद बहादुरी से लडे, हक़ पर थे, जान जाने की परवाह न की, शहादत सामने थी, और दुनिया से रुखसत हो गए।
मुज़फ्फरनगर की अंजुम सैफी बन गयी जज, कभी पिता का हुआ था क़त्ल फिर ख्वाब किया पूरा
अंजुम के पिता रशीद अहमद हमेशा ही गलत करने वालों के खिलाफ खड़े रहे। 25 साल पहले एक बाजार में जहां उनकी हार्डवेयर की दुकान थी, वहां लुटेरों के खिलाफ उन्होंने मोर्चा खोला।
बाद में बाजार में पुलिस की सुरक्षा को बढ़ाने की मांग को लेकर रशीद ने आंदोलन की अगुवाई भी की। और एक दिन हॉकर से पैसे छीन रहे बद’माशों को रोकने की कोशिश कर रहे अहमद को सरे बाजार गो’लियों से भून दिया गया।
परिवार की ओर से पढ़ने लिखने की पूरी आज़ादी अंजुम को मिली, उन्होंने इस मौके का फायदा उठाया,उधर बुजुर्ग माँ ओर दो भाइयों का साथ ऐसा मिला कि अंजुम ने ऊंचा औहदा पाकर परिवार व अपने जिले का नाम रोशन किया।
अंजुम की मां हामिदा बेगम ने बताया, ‘जब रिजल्ट आया तो सभी पड़ोसी और रिश्तेदार जश्न में डूबे थे। लेकिन अंजुम बार-बार सभी से बस यही कह रही थी कि काश आज पापा यहां होते।
काश मैं उनके साथ अपनी ये खुशियां बांट पाती।’ अंजुम के बड़े भाई दिलशाद अहमद ने बताया, ‘पापा के खोने के बाद उनके सपनों को पूरा करने के लिए हम सभी ने कड़ी मेहनत की है।
25 साल पहले पिता को बदमाशों ने गोली मार दी थी। बेटी ने जज बनकर पिता की ख्वाहिशों को पूरा कर दिया।
लोक सेवा आयोग की पीसीएस जे-2016 परीक्षा में सफल होने वाली अंजुम सैफी 1992 में सिर्फ चार साल की थीं, जब गोलियों से छलनी उनके पिता का शरीर उनके घर पहुंचा था।
अंजुम के पिता चाहते थे की उनकी बच्चे पढ़ लिखकर देश और दुनिया में उनका नाम रोशन करें।