अंसार ने अपनी एक स्पीच में बताया था कि, ' मेरे रिश्तेदार मेरे माता-पिता से कहा करते थे कि वे लोग मुझे क्यों पढ़ा रहे हैं, इसकी कोई जरूरत नहीं है।
जब में कक्षा 4 में था उस समय मेरे माता-पिता ने मेरे स्कूल टीचर से कहा था कि वे मुझे स्कूल से निकालना चाहते हैं, जिसके बाद मेरे स्कूल टीचर ने मेरे माता-पिता को बताया कि आपका बच्चा पढ़ाई में बहुत अच्छा है।
इसकी पढ़ाई में खर्च करने पर आपको कभी पछतावा नहीं होगा।
सबसे कम उम्र में आईएएस बनने वाले अंसार शेख की कामयाबी के राज़ और उनकी पूरी कहानी
अंसार शेख भारत के सबसे युवा IAS ऑफिसर्स में से एक हैं और साथ ही वे अपने परिवार के पहले ऐसे सदस्य हैं, जिन्होंने ग्रेजुएशन में डिग्री ली है।
अंसार कहते हैं कि ''मैं जालना जिले के शेलगांव में पैदा हुआ, जो मराठवाड़ा में पड़ता है। मेरे पिता ऑटो चलाते थे और मां, जो उनकी दूसरी बीवी थी, खेत मजदूर थी।
पुणे के नामचीन फर्गुसन कॉलेज में दाखिला लेना मेरे लिए एक कठिन फैसला था। मेरे पास चप्पल और दो जोड़ी कपड़े थे।
मराठी माध्यम से पढ़ाई करने और पिछड़े माहौल में रहने के कारण मैं अंग्रेजी से डरता था। फिर भी मैंने हार नहीं मानी।
पिता अपनी आय का एक छोटा हिस्सा मुझे भेजते थे, जबकि भाई हर महीने छह हजार रुपये, जो उनका वेतन था, मेरे खाते में डाल देते थे।
साल 2016 में अंसार शेख ने पहले ही प्रयास में ही यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में सफलता हासिल कर के काफी सुर्खियों बटोरी थीं।
उन्होंने राष्ट्रीय सूची में 361वीं रैंक हासिल किया था. उस समय अंसार शेख की उम्र केवल 21 वर्ष की थी।
बता दें, अंसार शेख ने आईएएस की परीक्षा में 275 में से 199 अंक हासिल किए थे
घर में ज्यादातर समय अनाज की किल्लत रहती थी, क्योंकि हमारा पूरा इलाका सूखाग्रस्त है।
शिक्षा की कमी के कारण गांव में लड़ाई-झगड़े और शराब पीने की आदत आम थी।
बचपन में लगभग हर रात को मेरी नींद शोर-शराबे के कारण टूट जाती थी। पिता शराब पीकर देर रात घर लौटते और मां से झगड़ा करते थे।
जिला परिषद के जिस स्कूल में मैं पढ़ता था, वहां मिड डे मील में अक्सर कीड़े मिलते थे।
बारहवीं में मुझे 91 फीसदी अंक मिले, तो गांव के लोगों ने मुझे अलग तरह से देखना शुरू किया।