मजदूर के पुत्र मोहम्मद दिलशाद ने केरल बोर्ड परीक्षा में किया टॉप, रचा इतिहास

साजिद के सपनों को रविवार को उनके सबसे बड़े बेटे, मुहम्मद दिलशाद ने पूरा कर दिखाया है। उसने केरल की दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में मलयालम माध्यम के सरकारी स्कूल से टॉप करके उन्हें और उनके परिवार को गौरवान्वित किया है । दिलशाद को सभी विषयों में ए + ग्रेड मिला है।

साजिद ने जब यह खबर सुनी कि उनके बेटे ने टॉप किया है तो उनकी आंखों में खुशी के आंसू छलक आए औऱ उन्होंने कहा कि हम तो गरीब थे इसलिए पढ़ाई नहीं की। लेकिन मेरे बेटे ने मुझे गर्व महसूस कराया है, मेरे सपने को पूरा किया है।

दिलशाद का स्कूल छह दशक पुराना एक सरकारी स्कूल है जो, कोच्चि के किनारे एक औद्योगिक क्षेत्र में स्थित है, जहां अंतरराज्यीय श्रमिकों का एक बड़ा वर्ग कार्यरत है, ऐसे श्रमिकों के बच्चों के आवेदनों की संख्या सभी वर्गों में बहुत अधिक है।


इस साल बोर्ड की परीक्षा देने वाले 12 छात्रों की दिलशाद की कक्षा में, उनमें से चार, जिनमें वह भी शामिल हैं, उत्तरी राज्यों के हैं।

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि केरल में दसवीं कक्षा की राज्य बोर्ड परीक्षा में टॉप करने के लिए मुहम्मद दिलशाद को बधाई। 

जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, बिहार के एक अनपढ़ और मजदूर भुट्टो साजिद के बेटे मोहम्मद दिलशाद ने।

बिहार के दरभंगा जिले के निवासी दिलशाद ने केरल में दसवीं कक्षा की राज्य बोर्ड परीक्षा में टॉप किया है। उसे उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को शीर्ष स्थान हासिल करने पर ट्वीट कर बधाई दी।

बेगहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले मोहम्मद दिलशाद ने केरल बोर्ड परीक्षा में टॉप कर इतिहास रच दिया है।

कहते हैं, जब जज्बा हो तो कुछ भी हासिल करना नामुमकिन नहीं होता है। मगर इसके पीछे बहुत बड़ी कहानी है।

बिहार के दरभंगा में एक गरीब किसान परिवार में जन्मे साजिद के परिवार के पास उन्हें स्कूल भेजने के लिए आर्थिक साधन नहीं थे।


अनपढ़ साजिद नौकरी करने के लिए दिल्ली गए और फिर प्रवासी श्रमिकों की पहली खेप के बीच 1999 में हजारों मील दूर केरल चले गए।

दिलशाद केरल के बिनानीपुरम में मलयालम-माध्यम में सरकारी हाई स्कूल का छात्र है।

उन्होंने कहा कि दिलशाद के पिता साजिद और उनके परिवार के प्रयास प्रशंसनीय हैं। साजिद के पिता उत्तर भारत के बिहार से केरल पहुंचे प्रवासी श्रमिकों की पहली खेप में शामिल थे।

पिछले दो दशकों में, साजिद ने केरल को ही अपना घर बना लिया है। वहां एर्नाकुलम जिले के औद्योगिक क्षेत्र में एक छोटे से जूते के कारखाने में वो काम करते हैं और अपनी पत्नी और पांच बच्चों के साथ वहीं रह रहे हैं।