ऐसा इसलिए है क्योंकि उस गांव में कोई कब्रिस्तान नहीं है जिसकी वजह से अछनेरा के छह फोखर गांव में मुस्लिम समुदाय के लोगों को अपने प्रियजनों के गुजरने के बाद शव को अपने घर में ही दफनाना पड़ता है।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस गांव में 250 से ज्यादा कब्र हैं जो लोगों के घरों में हैं। परिवार के लोग इन्ही कब्रों के पास रहते हैं, चूल्हे पर खाना बनाते हैं, कपड़े धोते हैं और जिंदगी जीते हैं।
आगरा दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल के लिए चर्चित है लेकिन क्या आपको पता है इस शहर में एक गांव ऐसा भी है,
जहां हर घर में एक कब्र है या यूं कहें कि कब्र पर ही घर बनाकर लोग रहने को मजबूर हैं।
उत्तर प्रदेश के इस गांव में मुस्लिम घर में ही शव दफनाने को मजबूर नहीं हे कब्रिस्तान
फरीदा नाम की महिला ने कहा कि ससुर जी की मौत के बाद उनकी कब्र हमारे घर में ही है। चाचा की कब्र उनके बगल में है।
कब्र के पास ही खाना बनाते हैं. बच्चे यहीं खाते हैं और उन्हें डर भी लगता है।
इस गांव में कुछ जगह ऐसी भी है जहां लोगों ने कब्र पर ही घर बना लिया क्योंकि उन्हें रहने के लिए दूसरी जगह जमीन नहीं मिली।
इसको लेकर एक स्थानीय निवासी मुंसी खान ने कहा, 'अब बाहर दफनाने के लिए जगह नहीं बची है इसलिए लोगों को घर में दफनाना पड़ता है।'
5 हजार की आबादी वाले इस छह पोखर गांव में लगभग 150 मुस्लिम परिवार रहते हैं लेकिन उनके लिए कोई कब्रिस्तान नहीं है।
गांव के लोग बताते हैं कि यहां हिंदू और मुसलमान कुछ जमीन कब्रिस्तान के लिए देने को राजी भी है लेकिन प्रशासन की उपेक्षा की वजह से इस पर अंतिम फैसला नहीं हो पाता है।
इस समस्या को लेकर बीजेपी के स्थानीय नेता संजीव कुमार बताते हैं कि कब्रिस्तान के लिए पहले जमीन अलॉट की गई थी लेकिन लोगों ने वहां अपने-अपने मकान बना लिए।
इसके बाद प्रशासन कब्रिस्तान के लिए अब तक कोई जमीन चिन्हित नहीं कर पाया है।