''न इन्हें राम से मतलब है, न रहीम से मतलब है। इनकी बातों में अयोध्या के हिंदू-मुस्लिम नहीं आने वाले। हम सभी भाई-भाई हैं।''
ये बात अयोध्या के रहने वाले मोहम्मद जमील कहते हैं।
मोहम्मद जमील की ही तरह अयोध्या के मुसलमान भी आपसी भाईचारे की बात दोहराते हुए वीएचपी और शिवसेना की रैली के असर को साफ नकार देते हैं।
मोहल्ले के ही रहने वाले अब्दुल हाफिज सिलाई का काम करते हैं। अब्दुल हाफिज कहते हैं, ''इस बाहरी आमद ने धंधा चौपट कर रखा है।
यहां के हिंदुओं से हमें कभी कोई दिक्कत नहीं हुई। अब देखिए अयोध्या में धारा 144 लगी है फिर भी हजारों लोग इकट्ठा हुए हैं। कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं। यहां के हिंदू लोग इसमें ज्यादा नहीं शामिल हुए हैं।''
राम मंदिर के निर्माण की मांग को लेकर अयोध्या में 24 और 25 नवंबर को शिवसेना और वीएचपी की रैली थी।
रैलियों में शामिल होने के लिए बाहर से करीब एक लाख लोग अयोध्या पहुंचे थे।
सुरक्षा के मद्देनजर प्रशासन ने यहां के मुस्लिम मोहल्ले छोटी कोटिया और बड़ी कोटिया को पूरी तरह से कॉर्डन ऑफ (घेरा बनाना) कर रखा था।
हर गली की शुरुआत में आरएएफ के जवान मौजूद थे और किसी को भी इस मोहल्ले में जाने की इजाजत नहीं थी। बैरिकेड से पूरी तरह पैक इस मोहल्लों के रहवासियों को बाहर न निकलने की हिदायत भी दी गई थी।
इस हिदायत और आशंका की वजह से मोहल्ले के लोग घरों में ही मौजूद थे। हमेशा चहल कदमी से गुलजार रहने वाली गलियां बिलकुल सुनसान थीं। इन्हीं गलियों में से एक गली के कोने पर कुछ लोग जमावड़ा लगाए थे और अयोध्या में हो रहे घटनक्रम के बारे में बात कर रहे थे।
ये पूछने पर कि इन रैलियों से अयोध्या के मुसलमानों पर क्या असर होता है। मोहम्मद जमील कहते हैं, ''असर सिर्फ हम लोगों पर नहीं अयोध्या के रहने वाले सभी लोगों पर होता है।
अब यहां सब बंद है, कारोबार बंद है, चप्पे-चप्पे पर पुलिस वाले हैं, यहां के रहने वाले किसी को बाहर जाने में दिक्कत हो रही है। तो इससे दोनों ही कौम को दिक्कत है।''
ये बात उस मोहल्ले की है जो अयोध्या रेलवे स्टेशन से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर स्थित है और यहां से राम जन्म भूमि सिर्फ 2 किमी की दूरी पर है।
ये मोहल्ला बाबरी मस्जिद के मुद्दई रहे हाशिम अंसारी का मोहल्ला है। उनके इंतकाल के बाद अब उनके बेटे इकबाल अंसारी बाबरी मस्जिद के पक्षकार हैं।
इस वजह से इस मोहल्ले की सुरक्षा व्यवस्था और चाकचौबंद थी।
हालांकि मोहल्ले के चारों तरफ जहां तक वीएचपी की पहुंच हो पाई थी बड़े-बड़े भोपू लगाए गए थे, ताकि आवाज इन लोगों तक साफ-साफ पहुंच सके।
भोपू से तेज आवाज में 'पहले मंदिर-फिर सरकार' और 'राम लला हम आ गए' जैसे नारों की उद्घोषणा होती रहती। इन नारों से यहां के रहने वालों के दिलों में ज़र्ब पड़ते भी नजर आता है।
अयोध्या के मुसलमानों ने कहा- बाहरी कर रहे लड़ाने की कोशिश, जो 92 में हुआ था ,अब नहीं होगा