ओवैसी ने कहा, ‘‘एक धर्म आतंकवाद में संलग्न नहीं हो सकता। वह आधारभूत रूप से यह कहना चाह रहे हैं कि यह धर्म कभी भी संलग्न नहीं हो सकता और अन्य धर्म हो सकते हैं। इस पर ध्यान दिया जाना चाहिये।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मसले पर समझौता किया है और जानना चाहा कि इस विषय पर चीन के साथ क्या करार किया गया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा को यह दावा करने की जरूरत नहीं है कि बहुत बड़ी चीज हासिल कर ली गई है, क्योंकि पाकिस्तान से काम कर रहा आतंकी सरगना अब भी भारत के लिए खतरा बना हुआ है।
ओवैसी ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री से पूछना चाहता हूं कि क्यों उन्होंने ऐसा समझौता किया। उन्होंने पुलवामा को शामिल नहीं किया और ना ही संसद हमले को। इनके लिए मसूद अजहर जिम्मेदार था।
आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को कहा कि मसूद अजहर को काली सूची में डालना ‘दिखावटी चीज’ है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव में पठानकोट, उरी या अन्य आतंकी हमलों का कोई उल्लेख नहीं है।
इससे पहले ओवैसी ने पीएमओ इंडिया को टैग करते हुये एक ट्वीट में कहा,‘‘क्या आप वर्धा में दिये भाषण को वापस लेना चाहेंगे या आप मुरली से कहेंगे कि वह महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में उतरे।’’
दरअसल, मोदी ने एक मई को कांग्रेस पर हमला बोलते हुये कहा था कि यह पार्टी ‘‘शांतिप्रिय हिंदुओं’’ को आतंकवादी के रूप में प्रस्तुत करके उन लोगों का अपमान कर रही है जो इस धर्म का पालन करते हैं।
ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी, हमें बताइए- क्या आपने चीन के लिए कॉम्प्रोमाइज किया। हाफिज सईद भी ब्लैकलिस्ट हुआ था, क्या पाकिस्तान ने उसे पैसा देना बंद कर दिया है?
हमें पता है कि पाकिस्तान हाफिज को वीआईपी की तरह ट्रीट करता है। 26/11 मुंबई हमले का साजिशकर्ता जकीउर रहमान लखवी जेल में रहते हुए बाप बना था।
ओवैसी ने मोदी से पूछा- मसूद अजहर को लेकर चीन से क्या समझौता किया
-सैयद अकबरुद्दीन साल 2004 से 2005 के बीच फॉरेन सेक्रेटरी ऑफिसर भी रहे।
-वह वियतनाम में इंटरनेशनल ऑटोमिक एनर्जी एजेंसी में चार साल तक डिप्यूटेशन पर रहे और 2011 में भारत लौटे।
-सैयद अकबरुद्दीन जिद्दा में साल 2000 से 2004 के बीच कौंसल जनरल भी रहे।