मुंबई में सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल देखने को मिली जब एक हिंदू तथा एक मुस्लिम महिला ने सिटी हॉस्पिटल में एक-दूसरे के पति को किडनी डोनेट किया। 

14 मार्च को वर्ल्ड किडनी डे के मौके पर सैफी हॉस्पिटल में हुई सर्जरी के बाद ठाणे निवासी नदीम (51) और नजरीन (45) की बिहार निवासी रामस्वार्थ यादव (53) और उनकी पत्नी सत्यादेवी (45) के साथ एक अनोखा ही रिश्ता बन गया। 

दोनों ही पीड़ित अपने परिवार-रिश्तेदारों में से डोनर्स की तलाश कर रहे थे, लेकिन कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी। सैफी हॉस्पिटल में नेफ्रॉलजिस्ट डॉक्टर हेमल शाह को दोनों केस के बारे में पता था और बातचीत के बाद स्वैप ट्रांसप्लाटेशन का विकल्प सामने आया।


रामस्वार्थ का ब्लड ग्रुप (A) नाजरीन के साथ मैच कर गया, जबकि नदीम का ब्लड ग्रुप (B) सत्यादेवी के साथ मैच कर गया। एक महीने तक सोच-विचार के बाद दोनों ही परिवार स्वैप ट्रांसप्लांटेशन के लिए राजी हो गए। 

इंसानियत : एक हिंदू और एक मुस्लिम महिला ने एक-दूसरे के पति को किडनी दान किया

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यह किस्सा ठाणे और बिहार के दो परिवारों का है, जो 6 महीने पहले तक एक-दूसरे से बिल्कुल अनजान थे।

दोनों का इलाज कर रहे नेफ्रॉलजिस्ट ने सभी को करीब लाया और एक टीम के तौर पर मिलकर काम किया, जिसका नतीजा पिछले सप्ताह सफल ट्रांसप्लांटेशन के तौर पर मिला।

इस नफरत भरे दौर में जब सियासत ने समाज में ज़हर घोल दिया हे कोई ऐसी खबर दिल को सुकून देती हे।


इंसानियत किसी भी मज़हब और ज़ात से ऊपर है ऐसी ही मिसाल कायम की है एक हिंदू और एक मुस्लिम महिला ने जिन्होंने एक-दूसरे के पति को किडनी दान किया।  

रामस्वार्थ के बेटे संजय ने कहा, 'मेरे पिता पिछले दो सालों से बहुत तकलीफ भरी जिंदगी जी रहे थे। उनका एकमात्र इलाज ट्रांसप्लांटेशन ही था। और बात जब जिंदगी और मौत की हो तब धर्म नहीं दिखता है।